गोचरी: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p> निर्ग्रंथ मुनियों की आहार-चर्या । इसके लिए मुनि भिक्षा के लिए नियत समय में निकलते हैं, वे गृहपंक्ति का उल्लंघन नहीं करते, निःस्पृह भाव से शरीर की स्थिति के लिए ठंडा, गर्म, अलोना, सरस, नीरस जैसा प्राप्त होता है, | <div class="HindiText"> <p> निर्ग्रंथ मुनियों की आहार-चर्या । इसके लिए मुनि भिक्षा के लिए नियत समय में निकलते हैं, वे गृहपंक्ति का उल्लंघन नहीं करते, निःस्पृह भाव से शरीर की स्थिति के लिए ठंडा, गर्म, अलोना, सरस, नीरस जैसा प्राप्त होता है, खड़े होकर पाणि-पात्र से ग्रहण करते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 34.199-201, 205 </span></p> | ||
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Revision as of 09:38, 2 May 2023
निर्ग्रंथ मुनियों की आहार-चर्या । इसके लिए मुनि भिक्षा के लिए नियत समय में निकलते हैं, वे गृहपंक्ति का उल्लंघन नहीं करते, निःस्पृह भाव से शरीर की स्थिति के लिए ठंडा, गर्म, अलोना, सरस, नीरस जैसा प्राप्त होता है, खड़े होकर पाणि-पात्र से ग्रहण करते हैं । महापुराण 34.199-201, 205