कनकावली: Difference between revisions
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<li class="HindiText"> (ह.पु./३४/७४-७५) समय–५२२ दिन; उपवास = ४३४; पारणा =८८। यंत्र-१,२,९ बार ३./१, वृद्धिक्रम से १ से लेकर १६ तक, ३४ बार ३, एक हानिक्रम से १६ से लेकर १ तक, ९ बार ३,२,१।<br /> | |||
<strong>विधि–</strong>उपरोक्त यंत्र के अनुसार एक-एक बार में इतने-इतने उपवास करे। प्रत्येक अन्तराल में एक पारणा करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। यह <strong>बृहद् विधि</strong> है। (व्रत विधान संग्रह/.७८)। </li> | |||
<li class="HindiText"> समय–एक वर्ष। उपवास ७२। <strong>विधि–</strong>एक वर्ष तक बराबर प्रतिमास की शु. १,५,१० तथा कृ. २,६,१२ इन ६ तिथियों में उपवास करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। (व्रत-विधान संग्रह/७८) (किशन सिंह/क्रियाकोश)। | |||
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Revision as of 14:30, 24 December 2013
- (ह.पु./३४/७४-७५) समय–५२२ दिन; उपवास = ४३४; पारणा =८८। यंत्र-१,२,९ बार ३./१, वृद्धिक्रम से १ से लेकर १६ तक, ३४ बार ३, एक हानिक्रम से १६ से लेकर १ तक, ९ बार ३,२,१।
विधि–उपरोक्त यंत्र के अनुसार एक-एक बार में इतने-इतने उपवास करे। प्रत्येक अन्तराल में एक पारणा करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। यह बृहद् विधि है। (व्रत विधान संग्रह/.७८)। - समय–एक वर्ष। उपवास ७२। विधि–एक वर्ष तक बराबर प्रतिमास की शु. १,५,१० तथा कृ. २,६,१२ इन ६ तिथियों में उपवास करे। नमस्कार मंत्र का त्रिकाल जाप्य करे। (व्रत-विधान संग्रह/७८) (किशन सिंह/क्रियाकोश)।