दुर्ग: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) भरतक्षेत्र में पश्चिम का एक देश । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11. 71 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) भरतक्षेत्र में पश्चिम का एक देश । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_11#71|हरिवंशपुराण - 11.71]] </span></p> | ||
<p id="2">(2) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी के साठ नगरों में एक नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19. 85, 87 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी के साठ नगरों में एक नगर । <span class="GRef"> महापुराण 19. 85, 87 </span></p> | ||
<p id="3">(3) राजा का पर्वत आदि पर बना सुरक्षित स्थान । यह शत्रु के लिए दुर्गम्य होता था । <span class="GRef"> महापुराण 32.54 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) राजा का पर्वत आदि पर बना सुरक्षित स्थान । यह शत्रु के लिए दुर्गम्य होता था । <span class="GRef"> महापुराण 32.54 </span></p> | ||
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Revision as of 15:10, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
- भरत क्षेत्र पश्चिम आर्यखंड का एक देश–देखें मनुष्य - 4;
- विजयार्ध की उत्तर श्रेणी का एक नगर–देखें विद्याधर ।
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र में पश्चिम का एक देश । हरिवंशपुराण - 11.71
(2) विजयार्ध की उत्तरश्रेणी के साठ नगरों में एक नगर । महापुराण 19. 85, 87
(3) राजा का पर्वत आदि पर बना सुरक्षित स्थान । यह शत्रु के लिए दुर्गम्य होता था । महापुराण 32.54