क्रिया मंत्र: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> देखें [[ मंत्र#1.6 | मंत्र - 1.6]] | <li><span class="HindiText"><strong name="1.6" id="1.6"> पूजाविधानादि के लिए सामान्य मंत्रों का निर्देश</strong> <br /> | ||
<span class="GRef"> महापुराण/40/ श्लोक नं. का भावार्थ</span>–निम्नलिखित मंत्र सामान्य हैं क्योंकि सभी क्रियाओं में काम आते हैं।91। | |||
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<li><span class="HindiText"><strong> भूमिशुद्धि के लिए</strong></span><span class="SanskritText">‘नीरजसे नम:’।5।</span><span class="HindiText"> विघ्नशांति के लिए </span><span class="SanskritText">‘दर्पमथनाय नम:’।6। </span><span class="HindiText"> और तदनंतर गंध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य द्वारा भूमिका संस्कार करने के लिए क्रम से–</span><span class="SanskritText">शीलगंधाय नम:, विमलाय नम:, अक्षताय नम:, श्रुतधूपाय नम:, ज्ञानोद्योताय नम:, परमसिद्धाय नम:,</span><span class="HindiText"> ये मंत्र बोल बोल वह वह पदार्थ चढ़ावे।7-10। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"><strong> तदनंतर पीठिकामंत्र</strong> पढ़े–</span><span class="SanskritText">सत्यजाताय नम:, अर्हज्जाताय नम:।11। परमजाताय नम:, अनुपमजाताय नम:।12। स्वप्रधानाय नम:, अचलाय नम:, अक्षयाय नम:।13। अव्याबाधाय नम:, अनंतज्ञानायं नम:, अनंतवीर्याय नम:, अनंतसुखाय नम:, नीरजसे नम:, निर्मलाय नम:, अच्छेद्याय नम:, अभेद्याय नम:, अजराय नम:, अप्रमेयाय नम:, अगर्भवासाय नम:, अक्षोभ्याय नम:, अविलीनाय नम:, परमघनाय नम:।14-17। परमकाष्ठयोगाय नमो नम:।18। लोकाग्रवासिने नमो नम:, परमसिद्धेभ्यो नमो नम:, अर्हत्सिद्धेभ्यो नमो नम:।19। केवलिसिद्धेभ्यो नमो नम:, अंत:कृत्सिद्धेभ्योनमो नम:, परंपरसिद्धेंयो नम:, अनादिपरंपरसिद्धेभ्यो नम:, अनाद्यनुपमसिद्धेभ्यो नमो नम:, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे आसन्नभव्य आसन्नभव्य निर्वाणपूजार्हं, निर्वाणपूजार्हं अग्नींद्र स्वाहा।20-23। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"> (इसके पश्चात् <strong>काम्यमंत्र</strong> बोलना चाहिए) </span><span class="SanskritText">सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्यु विनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।24-25।</span></li> | |||
<li><span class="HindiText"> तत्पश्चात् क्रम से <strong>जातिमंत्र</strong>, निस्तारकमंत्र, ऋषिमंत्र, सुरेंद्रमंत्र, परमराजादि मंत्र, परमेष्ठी मंत्र, इन छ: प्रकार के मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।</span></li> | |||
<li><span class="HindiText"><strong>जातिमंत्र</strong>–</span><span class="SanskritText">सत्यजन्मन: शरणं प्रपद्यामि, अर्हज्जन्मन: शरणं प्रपद्यामि, अर्हन्मातु: शरणं प्रपद्यामि, अर्हत्सुतस्य शरणं प्रपद्यामि, अनादिगमनस्य शरणं प्रपद्यामि अनुपमजन्मन: शरणं प्रपद्यामि, रत्नत्रयस्य शरणं प्रपद्यामि, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे ज्ञानमूर्ते ज्ञानमूर्ते सरस्वति सरस्वति स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।27-30। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"><strong> निस्तारमंत्र</strong>–</span><span class="SanskritText">सत्यजाताय स्वाहा, अर्हज्जाताय स्वाहा, षट्कर्मणे स्वाहा, ग्रामयतये स्वाहा, अनादिश्रोत्रियाय स्वाहा, स्नातकाय स्वाहा, श्रावकाय स्वाहा, देवब्राह्मणाय स्वाहा, सुब्राह्मणाय स्वाहा, अनुपमाय स्वाहा, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे निधिपते निधिपते वैश्रवण वैश्रवण स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्यु विनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।।31-37। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"><strong> ऋषि म</strong>न्<strong>त्र–</strong> </span><span class="SanskritText">सत्यजाताय नम:, अर्हज्जाताय नम:, निर्ग्रंथाय नम:, वीतरागाय नम:, महाव्रताय नम:, त्रिगुप्ताय नम:, महायोगाय नम:, विविध-योगाय नम:, विविधर्द्धये नम:, अंगधराय नम:, पूर्वधराय नम:, गणधराय नम:, परमर्षिभ्यो नमो नम:, अनुपम जाताय नमो नम:, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे भूपते भूपते नगरपते नगरपते कालश्रमण कालश्रमण स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु,।38-46। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"><strong> सुरेंद्रमंत्र</strong>:–</span><span class="SanskritText">सत्यजाताय स्वाहा, अर्हज्जाताय स्वाहा, दिव्यजाताय स्वाहा, दिव्यार्चिर्जाताय स्वाहा, नेमिनाथाय स्वाहा, सौधर्माय स्वाहा, कल्पाधिपतये स्वाहा, अनुचराय स्वाहा, परंपरेंद्राय स्वाहा, अहमिंद्राय स्वाहा, परमार्हताय स्वाहा, अनुपमाय स्वाहा, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे कल्पपते कल्पपते दिव्यमूर्ते दिव्यमूर्ते वज्रनामन् वज्रनामन् स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।47-55। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"><strong> परमराजादिमंत्र–</strong></span><span class="SanskritText">सत्यजातायस्वाहा, अर्हज्जाताय स्वाहा, अनुपमेंद्राय स्वाहा, विजयार्चजाताय स्वाहा, नेमिनाथाय स्वाहा, परमजाताय स्वाहा, परमार्हताय स्वाहा, अनुपमाय स्वाहा, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे उग्रतेजः उग्रतेजः दिशांजय दिशांजय नेमिविजय नेमिविजय स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।56-62। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"><strong> परमेष्ठी मंत्र–</strong></span><span class="SanskritText">सत्यजाताय नम:, अर्हज्जाताय नम:, परमजाताय नम:, परमार्हताय नम:, परमरूपाय नम:, परमतेजसे नम:, परमगुणाय नम:, परमयोगिने नम:, परमभाग्याय नम:, परमर्द्धये नम:, परमप्रसादाय नम:, परमकांक्षिताय नम:, परमविजयाय नम:, परमविज्ञाय नम:, परमदर्शनाय नम:, परमवीर्याय नम:, परमसुखाय नम:, सर्वज्ञाय नम:, अर्हते नम:, परमेष्ठिने नमो नम:, परमनेत्रे नमो नम:, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे त्रिलोकविजय त्रिलोकविजय धर्ममूर्ते धर्ममूर्ते धर्मनेमे धर्मनेमे स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।63-76। </span></li> | |||
<li><span class="HindiText"> पीठिका मंत्र से परमेष्ठीमंत्र तक के ये उपरोक्त सात प्रकार के मंत्र गर्भाधानादि क्रियाएँ करते समय <strong>क्रियामंत्र</strong>, गणधर कथित सूत्र में <strong>साधनमंत्र</strong>, और देव पूजनादि नित्य कर्म करते समय <strong>आहुति मंत्र</strong> कहलाते हैं।78-79।<strong>7</strong></span></li> | |||
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Revision as of 10:32, 10 April 2023
महापुराण/40/ श्लोक नं. का भावार्थ–निम्नलिखित मंत्र सामान्य हैं क्योंकि सभी क्रियाओं में काम आते हैं।91।
- भूमिशुद्धि के लिए‘नीरजसे नम:’।5। विघ्नशांति के लिए ‘दर्पमथनाय नम:’।6। और तदनंतर गंध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य द्वारा भूमिका संस्कार करने के लिए क्रम से–शीलगंधाय नम:, विमलाय नम:, अक्षताय नम:, श्रुतधूपाय नम:, ज्ञानोद्योताय नम:, परमसिद्धाय नम:, ये मंत्र बोल बोल वह वह पदार्थ चढ़ावे।7-10।
- तदनंतर पीठिकामंत्र पढ़े–सत्यजाताय नम:, अर्हज्जाताय नम:।11। परमजाताय नम:, अनुपमजाताय नम:।12। स्वप्रधानाय नम:, अचलाय नम:, अक्षयाय नम:।13। अव्याबाधाय नम:, अनंतज्ञानायं नम:, अनंतवीर्याय नम:, अनंतसुखाय नम:, नीरजसे नम:, निर्मलाय नम:, अच्छेद्याय नम:, अभेद्याय नम:, अजराय नम:, अप्रमेयाय नम:, अगर्भवासाय नम:, अक्षोभ्याय नम:, अविलीनाय नम:, परमघनाय नम:।14-17। परमकाष्ठयोगाय नमो नम:।18। लोकाग्रवासिने नमो नम:, परमसिद्धेभ्यो नमो नम:, अर्हत्सिद्धेभ्यो नमो नम:।19। केवलिसिद्धेभ्यो नमो नम:, अंत:कृत्सिद्धेभ्योनमो नम:, परंपरसिद्धेंयो नम:, अनादिपरंपरसिद्धेभ्यो नम:, अनाद्यनुपमसिद्धेभ्यो नमो नम:, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे आसन्नभव्य आसन्नभव्य निर्वाणपूजार्हं, निर्वाणपूजार्हं अग्नींद्र स्वाहा।20-23।
- (इसके पश्चात् काम्यमंत्र बोलना चाहिए) सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्यु विनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।24-25।
- तत्पश्चात् क्रम से जातिमंत्र, निस्तारकमंत्र, ऋषिमंत्र, सुरेंद्रमंत्र, परमराजादि मंत्र, परमेष्ठी मंत्र, इन छ: प्रकार के मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए।
- जातिमंत्र–सत्यजन्मन: शरणं प्रपद्यामि, अर्हज्जन्मन: शरणं प्रपद्यामि, अर्हन्मातु: शरणं प्रपद्यामि, अर्हत्सुतस्य शरणं प्रपद्यामि, अनादिगमनस्य शरणं प्रपद्यामि अनुपमजन्मन: शरणं प्रपद्यामि, रत्नत्रयस्य शरणं प्रपद्यामि, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे ज्ञानमूर्ते ज्ञानमूर्ते सरस्वति सरस्वति स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।27-30।
- निस्तारमंत्र–सत्यजाताय स्वाहा, अर्हज्जाताय स्वाहा, षट्कर्मणे स्वाहा, ग्रामयतये स्वाहा, अनादिश्रोत्रियाय स्वाहा, स्नातकाय स्वाहा, श्रावकाय स्वाहा, देवब्राह्मणाय स्वाहा, सुब्राह्मणाय स्वाहा, अनुपमाय स्वाहा, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे निधिपते निधिपते वैश्रवण वैश्रवण स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्यु विनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।।31-37।
- ऋषि मन्त्र– सत्यजाताय नम:, अर्हज्जाताय नम:, निर्ग्रंथाय नम:, वीतरागाय नम:, महाव्रताय नम:, त्रिगुप्ताय नम:, महायोगाय नम:, विविध-योगाय नम:, विविधर्द्धये नम:, अंगधराय नम:, पूर्वधराय नम:, गणधराय नम:, परमर्षिभ्यो नमो नम:, अनुपम जाताय नमो नम:, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे भूपते भूपते नगरपते नगरपते कालश्रमण कालश्रमण स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु,।38-46।
- सुरेंद्रमंत्र:–सत्यजाताय स्वाहा, अर्हज्जाताय स्वाहा, दिव्यजाताय स्वाहा, दिव्यार्चिर्जाताय स्वाहा, नेमिनाथाय स्वाहा, सौधर्माय स्वाहा, कल्पाधिपतये स्वाहा, अनुचराय स्वाहा, परंपरेंद्राय स्वाहा, अहमिंद्राय स्वाहा, परमार्हताय स्वाहा, अनुपमाय स्वाहा, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे कल्पपते कल्पपते दिव्यमूर्ते दिव्यमूर्ते वज्रनामन् वज्रनामन् स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।47-55।
- परमराजादिमंत्र–सत्यजातायस्वाहा, अर्हज्जाताय स्वाहा, अनुपमेंद्राय स्वाहा, विजयार्चजाताय स्वाहा, नेमिनाथाय स्वाहा, परमजाताय स्वाहा, परमार्हताय स्वाहा, अनुपमाय स्वाहा, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे उग्रतेजः उग्रतेजः दिशांजय दिशांजय नेमिविजय नेमिविजय स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।56-62।
- परमेष्ठी मंत्र–सत्यजाताय नम:, अर्हज्जाताय नम:, परमजाताय नम:, परमार्हताय नम:, परमरूपाय नम:, परमतेजसे नम:, परमगुणाय नम:, परमयोगिने नम:, परमभाग्याय नम:, परमर्द्धये नम:, परमप्रसादाय नम:, परमकांक्षिताय नम:, परमविजयाय नम:, परमविज्ञाय नम:, परमदर्शनाय नम:, परमवीर्याय नम:, परमसुखाय नम:, सर्वज्ञाय नम:, अर्हते नम:, परमेष्ठिने नमो नम:, परमनेत्रे नमो नम:, सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे त्रिलोकविजय त्रिलोकविजय धर्ममूर्ते धर्ममूर्ते धर्मनेमे धर्मनेमे स्वाहा, सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु।63-76।
- पीठिका मंत्र से परमेष्ठीमंत्र तक के ये उपरोक्त सात प्रकार के मंत्र गर्भाधानादि क्रियाएँ करते समय क्रियामंत्र, गणधर कथित सूत्र में साधनमंत्र, और देव पूजनादि नित्य कर्म करते समय आहुति मंत्र कहलाते हैं।78-79।7
देखें मंत्र - 1.6