गूढ ब्रह्मचारी: Difference between revisions
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<span class="GRef"> चारित्रसार/42/1 </span><span class="SanskritText">तत्र ब्रह्मचारिणः पंचविधाः - उपनयावलंबादीक्षागूढनैष्ठिकभेदेन ।</span> =<span class="HindiText"> ब्रह्मचारी पाँच प्रकार के होते हैं - उपनय, अवलंब, अदीक्षा, '''गूढ़''' और नैष्ठिक । (<span class="GRef"> सागार धर्मामृत/7/19 </span>) ।<br /> | |||
<span class="GRef"> चारित्रसार/42/1 </span><span class="SanskritText">तत्रोपनयब्रह्मचारिणो गणधरसूत्रधारिणः समभ्यस्तागमा गृहधर्मानुष्ठायिनो भवंति । अवलंबब्रह्मचारिणः क्षुल्लकरूपेणागममभ्यस्य परिगृहीतगृहावासा भवंति । अदीक्षाब्रह्मचारिणः वेषमंतरेणाभ्यस्तागमा गृहधर्मनिरता भवंति । '''गूढब्रह्मचारिणः''' कुमारश्रमणाः संतः स्वीकृतागमाभ्यासा बंधुभिर्दुसहपरीषहैरात्मना नृपतिभिर्वा निरस्तपरमेश्वररूपा गृहवासरता भवंति । नैष्ठिकब्रह्मचारिणः समाधिगतशिखालक्षितशिरोलिंगाः गणधरसूत्रोपलक्षितोरोलिंगा, शुक्लरक्तवसनखंडकौपीनलक्षितकटीलिंगाः स्नातका भिक्षाव्रतयो देवतार्चनपरा भवंति ।</span> | |||
<li class="HindiText"> जो कुमार अवस्था में ही मुनि होकर शास्त्रों का अभ्यास करते हैं तथा पिता, भाई आदि कुटुंबियों के आश्रय से अथवा घोर परिषहों के सहन न करने से किंवा राजा की विशेष आज्ञा से अथवा अपने आप ही जो परमेश्वर भगवान् अरहंत देव की दिगंबर दीक्षा छोड़कर गृहस्थ धर्म स्वीकार करते हैं, उन्हें '''गूढ़ ब्रह्मचारी''' कहते हैं । </li> | |||
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Revision as of 20:09, 19 April 2023
चारित्रसार/42/1 तत्र ब्रह्मचारिणः पंचविधाः - उपनयावलंबादीक्षागूढनैष्ठिकभेदेन । = ब्रह्मचारी पाँच प्रकार के होते हैं - उपनय, अवलंब, अदीक्षा, गूढ़ और नैष्ठिक । ( सागार धर्मामृत/7/19 ) ।
चारित्रसार/42/1 तत्रोपनयब्रह्मचारिणो गणधरसूत्रधारिणः समभ्यस्तागमा गृहधर्मानुष्ठायिनो भवंति । अवलंबब्रह्मचारिणः क्षुल्लकरूपेणागममभ्यस्य परिगृहीतगृहावासा भवंति । अदीक्षाब्रह्मचारिणः वेषमंतरेणाभ्यस्तागमा गृहधर्मनिरता भवंति । गूढब्रह्मचारिणः कुमारश्रमणाः संतः स्वीकृतागमाभ्यासा बंधुभिर्दुसहपरीषहैरात्मना नृपतिभिर्वा निरस्तपरमेश्वररूपा गृहवासरता भवंति । नैष्ठिकब्रह्मचारिणः समाधिगतशिखालक्षितशिरोलिंगाः गणधरसूत्रोपलक्षितोरोलिंगा, शुक्लरक्तवसनखंडकौपीनलक्षितकटीलिंगाः स्नातका भिक्षाव्रतयो देवतार्चनपरा भवंति ।
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