पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 113 - समय-व्याख्या: Difference between revisions
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Latest revision as of 13:26, 30 June 2023
जूगागुंभीमक्कणपिपीलिया विच्छियादिया कीडा । (113)
जाणंति रसं फासं गंधं तेइंदिया जीवा ॥123॥
अर्थ:
यूका (जूँ), कुंभी, मत्कुण (खटमल), पिपीलिका (चींटी), बिच्छू आदि कीट (जन्तु) तीन इन्द्रिय जीव स्पर्श, रस और गंध को जानते हैं ।
समय-व्याख्या:
त्रीन्द्रियप्रकारसूचनेयम् ।
एते स्पर्शनरसनघ्राणेन्द्रियावरणक्षयोपशमात् शेषेन्द्रियावरणोदये नोइन्द्रियावरणोदये चसति स्पर्शरसगन्धानां परिच्छेत्तारस्त्रीन्द्रिया अमनसो भवन्तीति ॥११३॥
समय-व्याख्या हिंदी :
यह, त्रीइंद्रिय जीवों के प्रकार की सूचना है।
स्पर्शनेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय और घ्राणेन्द्रिय के आवरण के क्षयोपशम के कारण तथा शेष इंद्रियों के आवरण का उदय तथा मन के (-भावमन के) आवरण का उदय होने से स्पर्श, रस और गंध को जानने वाले यह (जू आदि) जीव मन-रहित त्रीइंद्रिय जीव हैं ॥११३॥