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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) नील कुलाचल की दक्षिण दिशा में सीता नदी के पूर्वी तट पर स्थित एक हजार योजन विस्तार से मुक्त एक कूट । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.192 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) नील कुलाचल की दक्षिण दिशा में सीता नदी के पूर्वी तट पर स्थित एक हजार योजन विस्तार से मुक्त एक कूट । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_5#192|हरिवंशपुराण - 5.192]] </span></p> | ||
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<p>( 3) राजा शांतन और यौजनगंधा का पुत्र । विचित्र इसका भाई था । <span class="GRef"> पांडवपुराण 2.42 </span></p> | <p>( 3) राजा शांतन और यौजनगंधा का पुत्र । विचित्र इसका भाई था । <span class="GRef"> पांडवपुराण 2.42 </span></p> | ||
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Latest revision as of 14:41, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
व्या.वि./वृ./1/8/148/9 चिदिति चिच्छक्तिरनुभव इत्यर्थ:। सैव त्राणं त्रा परिरक्षणं यस्य तच्चित्रम् ।...अनुभवप्रसिद्धं खलु अनुभवपरिरक्षितं भवति। =चित्शक्ति या अनुभव का नाम चित् है। वह चित् ही जिसका त्राण या रक्षण है, उसे चित्र कहते हैं। अनुभव प्रसिद्ध होना ही अनुभव परिरक्षित होना है।
पुराणकोष से
(1) नील कुलाचल की दक्षिण दिशा में सीता नदी के पूर्वी तट पर स्थित एक हजार योजन विस्तार से मुक्त एक कूट । हरिवंशपुराण - 5.192
(2) कुरुवंशी एक राग । हरिवंशपुराण - 45.27
( 3) राजा शांतन और यौजनगंधा का पुत्र । विचित्र इसका भाई था । पांडवपुराण 2.42