नीलांजना: Difference between revisions
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<div class="HindiText"> <p id="1">(1) शकटामुख नगर के स्वामी विद्याधर नीलवान् की पुत्री । यह नील विद्याधर की बहिन थी । इसका विवाह राजा सिंहद्रंष्ट से हुआ था । इसकी पुत्री नीलयशा थी । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.113-114 23.1-6 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1" class="HindiText">(1) शकटामुख नगर के स्वामी विद्याधर नीलवान् की पुत्री । यह नील विद्याधर की बहिन थी । इसका विवाह राजा सिंहद्रंष्ट से हुआ था । इसकी पुत्री नीलयशा थी । <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_22#113|हरिवंशपुराण - 22.113-114]] 23.1-6 </span></p> | ||
<p id="2">(2) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित अलका नगरी के राजा मयूरग्रीव की रानी । अश्वग्रीव, नीलरथ, नीलकंठ, सुकंठ और वज्रकंठ इसके पुत्र थे । <span class="GRef"> महापुराण 62.58-59, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 3.68-70 </span></p> | <p id="2" class="HindiText">(2) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित अलका नगरी के राजा मयूरग्रीव की रानी । अश्वग्रीव, नीलरथ, नीलकंठ, सुकंठ और वज्रकंठ इसके पुत्र थे । <span class="GRef"> महापुराण 62.58-59, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 3.68-70 </span></p> | ||
<p id="3">(3) इंद्र की अप्सरा । इंद्र तीर्थंकर वृषभदेव को वैराग्य उत्पन्न करने के लिए इसे स्वर्ग से धरा पर लाया था । इसने हाव-भावपूर्वक वृषभदेव के समक्ष नृत्य किया नृत्य करते-करते इसकी आयु क्षण हो गयी । इसके अदृश्य होने पर वृषभदेव देह को क्षणभंगुर जानकर संसार से विरक्त हो गये थे । इसका अपरनाम नीलांजना था । <span class="GRef"> महापुराण 17.6-8, 149, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_3#263|पद्मपुराण -3. 263]], </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 9.47, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.215-221 </span></p> | <p id="3" class="HindiText">(3) इंद्र की अप्सरा । इंद्र तीर्थंकर वृषभदेव को वैराग्य उत्पन्न करने के लिए इसे स्वर्ग से धरा पर लाया था । इसने हाव-भावपूर्वक वृषभदेव के समक्ष नृत्य किया नृत्य करते-करते इसकी आयु क्षण हो गयी । इसके अदृश्य होने पर वृषभदेव देह को क्षणभंगुर जानकर संसार से विरक्त हो गये थे । इसका अपरनाम नीलांजना था । <span class="GRef"> महापुराण 17.6-8, 149, </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_3#263|पद्मपुराण -3. 263]], </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_9#47|हरिवंशपुराण - 9.47]], </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2.215-221 </span></p> | ||
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Latest revision as of 15:11, 27 November 2023
(1) शकटामुख नगर के स्वामी विद्याधर नीलवान् की पुत्री । यह नील विद्याधर की बहिन थी । इसका विवाह राजा सिंहद्रंष्ट से हुआ था । इसकी पुत्री नीलयशा थी । हरिवंशपुराण - 22.113-114 23.1-6
(2) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी में स्थित अलका नगरी के राजा मयूरग्रीव की रानी । अश्वग्रीव, नीलरथ, नीलकंठ, सुकंठ और वज्रकंठ इसके पुत्र थे । महापुराण 62.58-59, वीरवर्द्धमान चरित्र 3.68-70
(3) इंद्र की अप्सरा । इंद्र तीर्थंकर वृषभदेव को वैराग्य उत्पन्न करने के लिए इसे स्वर्ग से धरा पर लाया था । इसने हाव-भावपूर्वक वृषभदेव के समक्ष नृत्य किया नृत्य करते-करते इसकी आयु क्षण हो गयी । इसके अदृश्य होने पर वृषभदेव देह को क्षणभंगुर जानकर संसार से विरक्त हो गये थे । इसका अपरनाम नीलांजना था । महापुराण 17.6-8, 149, पद्मपुराण -3. 263, हरिवंशपुराण - 9.47, पांडवपुराण 2.215-221