महासेन: Difference between revisions
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<li> सुलोचनाचरित्र के रचयिता एक दिगम्बराचार्य। समय (ई. श. | <li> यादववंशी कृष्ण का दसवाँ पुत्र–देखें [[ इतिहास#7.10 | इतिहास - 7.10]]। </li> | ||
</ol | <li> सुलोचनाचरित्र के रचयिता एक दिगम्बराचार्य। समय (ई. श. 8 का अन्त 9 का पूर्व ); (ह. पु./प्र./7/पं. पन्नालाल )।</li> | ||
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<p id="1">(1) भोजकवृष्णि और रानी पद्मावती का दूसरा पुत्र । यह उग्रसेन का अनुज और देवसेन का अग्रज था । <span class="GRef"> महापुराण 70. 100, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 18.16 </span></p> | |||
<p id="2">(2) जरासन्ध का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 52.38 </span></p> | |||
<p id="3">(3) कृष्ण की पटरानी लक्ष्मणा का भाई । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 44.25 </span></p> | |||
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<p id="6">(6) रविषेणाचार्य के पूर्व हुए एक कवि-आचार्य । ये सुलोचना कथा के लेखक थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1.33 </span></p> | |||
<p id="7">(7) भरतक्षेत्र मै स्थित चन्द्रपुर नगर का राजा । यह इक्ष्वाकुवंशी और काश्यपगोत्री चन्द्रप्रभ तीर्थंकर का पिता था । इसकी रानी का नाम लक्ष्मणा था । <span class="GRef"> महापुराण 54.163-164, 173, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 44 </span></p> | |||
<p id="8">(8) धातकीखण्ड द्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में स्थित वत्सकावती देश की प्रभाकरी नगरी का राजा । वसुन्धरा इसकी रानी तथा जयसेन पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 7.84-86 </span></p> | |||
<p id="9">(9) चक्रवर्ती हरिषेण का पुत्र । हरिषेण इसे ही राज्य देकर संयमी हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 67.84-86 </span></p> | |||
<p id="10">(10) विजया पर्वत की उत्तरदिशा में स्थित अलका नगरी के राजा हरिबल का भाई और भूतिलक का अग्रज । इसके स्त्री सुन्दरी से उग्रसेन और वरसेन नाम के दो पुत्र तथा वसुन्धरा नाम की एक कन्या हुई थी इसने व्यन्तर देवताओं को युद्ध में जीतकर एक सुन्दर नगर को अपनी आवासभूमि बनाया था । अपने भाई हरिबल के पुत्र भीमक को इसने पराजित कर उसे पहले तो बन्धनों में रखा फिर शान्त होने पर उसे मुक्त कर दिया । भीमक अपनी पराजय भूल नहीं सका । उसने उसका राज्य लौटा दिया और राक्षसी विद्या सिद्ध कर इसे मार डाला । <span class="GRef"> महापुराण 76.262-280 </span></p> | |||
<p id="11">(11) तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ का मुख्य प्रश्नकर्ता । <span class="GRef"> महापुराण 76.532 </span></p> | |||
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Revision as of 21:45, 5 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- भोजक वृष्णि का पुत्र उग्रसेन का भाई–(ह.पु./18/16)।
- यादववंशी कृष्ण का दसवाँ पुत्र–देखें इतिहास - 7.10।
- सुलोचनाचरित्र के रचयिता एक दिगम्बराचार्य। समय (ई. श. 8 का अन्त 9 का पूर्व ); (ह. पु./प्र./7/पं. पन्नालाल )।
पुराणकोष से
(1) भोजकवृष्णि और रानी पद्मावती का दूसरा पुत्र । यह उग्रसेन का अनुज और देवसेन का अग्रज था । महापुराण 70. 100, हरिवंशपुराण 18.16
(2) जरासन्ध का पुत्र । हरिवंशपुराण 52.38
(3) कृष्ण की पटरानी लक्ष्मणा का भाई । हरिवंशपुराण 44.25
(4) उग्रसेन के चाचा शान्तनु का पुत्र । हरिवंशपुराण 48.40
(5) कृष्ण का पुत्र । हरिवंशपुराण 48.70, 50. 131
(6) रविषेणाचार्य के पूर्व हुए एक कवि-आचार्य । ये सुलोचना कथा के लेखक थे । हरिवंशपुराण 1.33
(7) भरतक्षेत्र मै स्थित चन्द्रपुर नगर का राजा । यह इक्ष्वाकुवंशी और काश्यपगोत्री चन्द्रप्रभ तीर्थंकर का पिता था । इसकी रानी का नाम लक्ष्मणा था । महापुराण 54.163-164, 173, पद्मपुराण 20. 44
(8) धातकीखण्ड द्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में स्थित वत्सकावती देश की प्रभाकरी नगरी का राजा । वसुन्धरा इसकी रानी तथा जयसेन पुत्र था । महापुराण 7.84-86
(9) चक्रवर्ती हरिषेण का पुत्र । हरिषेण इसे ही राज्य देकर संयमी हुआ था । महापुराण 67.84-86
(10) विजया पर्वत की उत्तरदिशा में स्थित अलका नगरी के राजा हरिबल का भाई और भूतिलक का अग्रज । इसके स्त्री सुन्दरी से उग्रसेन और वरसेन नाम के दो पुत्र तथा वसुन्धरा नाम की एक कन्या हुई थी इसने व्यन्तर देवताओं को युद्ध में जीतकर एक सुन्दर नगर को अपनी आवासभूमि बनाया था । अपने भाई हरिबल के पुत्र भीमक को इसने पराजित कर उसे पहले तो बन्धनों में रखा फिर शान्त होने पर उसे मुक्त कर दिया । भीमक अपनी पराजय भूल नहीं सका । उसने उसका राज्य लौटा दिया और राक्षसी विद्या सिद्ध कर इसे मार डाला । महापुराण 76.262-280
(11) तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ का मुख्य प्रश्नकर्ता । महापुराण 76.532