सुकुमारी: Difference between revisions
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<p> चम्पापुर नगर के सुबन्धु सेठ और उसको स्त्री वनदेवी की पुत्री । इसके शरीर से दुर्गन्ध आती थी । इसी नगर का धनदत्त सेठ अपने ज्येष्ठ पुत्र जिनदेव का इससे विवाह करना चाहता था । जिनदेव इसकी दुर्गन्ध से अप्रसन्न होकर सुव्रत भूमि के पास दीक्षित हो गया था । इससे इसका विवाह जिनदेव के छोटे भाई जिनदत्त से हुआ । जिनदत्त ने भी इसे स्नेह नहीं दिया । अन्त में इसने आत्म निन्दा करते हुए शान्ति आर्यिका से दीक्षा ले ली और समाधिमरण कर के अमृत स्वर्ग में देवांगना हुई । स्वर्ग से चयकर यही राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी हुई । महापुराण 72.241-248, 256-259, 263</p> | <p> चम्पापुर नगर के सुबन्धु सेठ और उसको स्त्री वनदेवी की पुत्री । इसके शरीर से दुर्गन्ध आती थी । इसी नगर का धनदत्त सेठ अपने ज्येष्ठ पुत्र जिनदेव का इससे विवाह करना चाहता था । जिनदेव इसकी दुर्गन्ध से अप्रसन्न होकर सुव्रत भूमि के पास दीक्षित हो गया था । इससे इसका विवाह जिनदेव के छोटे भाई जिनदत्त से हुआ । जिनदत्त ने भी इसे स्नेह नहीं दिया । अन्त में इसने आत्म निन्दा करते हुए शान्ति आर्यिका से दीक्षा ले ली और समाधिमरण कर के अमृत स्वर्ग में देवांगना हुई । स्वर्ग से चयकर यही राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी हुई । <span class="GRef"> महापुराण 72.241-248, 256-259, 263 </span></p> | ||
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Revision as of 21:49, 5 July 2020
चम्पापुर नगर के सुबन्धु सेठ और उसको स्त्री वनदेवी की पुत्री । इसके शरीर से दुर्गन्ध आती थी । इसी नगर का धनदत्त सेठ अपने ज्येष्ठ पुत्र जिनदेव का इससे विवाह करना चाहता था । जिनदेव इसकी दुर्गन्ध से अप्रसन्न होकर सुव्रत भूमि के पास दीक्षित हो गया था । इससे इसका विवाह जिनदेव के छोटे भाई जिनदत्त से हुआ । जिनदत्त ने भी इसे स्नेह नहीं दिया । अन्त में इसने आत्म निन्दा करते हुए शान्ति आर्यिका से दीक्षा ले ली और समाधिमरण कर के अमृत स्वर्ग में देवांगना हुई । स्वर्ग से चयकर यही राजा द्रुपद की पुत्री द्रौपदी हुई । महापुराण 72.241-248, 256-259, 263