प्रेष्य प्रयोग: Difference between revisions
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राजवार्तिक/7/31/2/556/4 <span class="SanskritText">परिच्छिन्नदेशाद्बहिः स्वयमगत्वा अन्यमप्यनीय द्वेष्यप्रयोगेणैवाभिप्रेतव्यापारसाधनं प्रेष्यप्रयोगः ।</span> = <span class="HindiText">स्वीकृत मर्यादा से बाहर स्वयं न जाकर और दूसरे को न बुलाकर भी नौकर के द्वारा इष्ट व्यापार सिद्ध करना प्रेष्य प्रयोग है । ( चारित्रसार/16/1 ) । </span></p> | |||
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Revision as of 19:13, 17 July 2020
सर्वार्थसिद्धि/7/31/369/10 एवं कुर्विति नियोगः प्रेष्यप्रयोगः । = ऐसा करो इस प्रकार काम में लगाना प्रेष्यप्रयोग है ।
राजवार्तिक/7/31/2/556/4 परिच्छिन्नदेशाद्बहिः स्वयमगत्वा अन्यमप्यनीय द्वेष्यप्रयोगेणैवाभिप्रेतव्यापारसाधनं प्रेष्यप्रयोगः । = स्वीकृत मर्यादा से बाहर स्वयं न जाकर और दूसरे को न बुलाकर भी नौकर के द्वारा इष्ट व्यापार सिद्ध करना प्रेष्य प्रयोग है । ( चारित्रसार/16/1 ) ।