अभयनंदि: Difference between revisions
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<p>(जै./1/387); ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/419); (इतिहास 7/5) (जैन साहित्य इतिहास/270/नाथूरामजी प्रेमी)।</p> | <p>(जै./1/387); ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/419); (इतिहास 7/5) (जैन साहित्य इतिहास/270/नाथूरामजी प्रेमी)।</p> | ||
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Revision as of 16:17, 19 August 2020
नंदिसंघ देशीयगण (देखें इति - 7.5) के अनुसार आप इंद्रनंदि और नेमिचंद्र सिद्धांत चक्रवर्ती (ई.श. 10-11) के समवयस्क दीक्षागुरु और वीर नंदिके शिक्षागुरु थे। आपको क्योंकि सिद्धांतचक्रवर्तीकी उपाधि प्राप्त थी इसलिए इन तीनों शिष्योंको भी वह सहज मिल गई। इन तीनोंमें आचार्य वीरनंदि पहिले आ. मेघचंद्रके शिष्य थे, पीछे विशेष ज्ञान प्राप्तिके अर्थ आपकी शरणमें चले गये थे। कृतियें-1. बिना संदृष्टिकी गोमट्टसार टीका; 2. कर्मप्रकृति रहस्य; 3. तत्त्वार्थ सूत्रकी तात्पर्य वृत्ति टीका, 4. श्रेयोविधा; 5. पूजाकल्प; 6. पं. कैलाशचंदजी के अनुसार संभवतः जैनेंद्र व्याकरणकी महावृत्ति टीका भी। समय-व्याकरण महावृत्तिके अनुसार वि. श. 11 का प्रथम चरण आता है। देशीयगणकी गुर्वावलीमें वह ई. 930-950 दर्शाया गया है।
(जै./1/387); ( तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा , पृष्ठ 2/419); (इतिहास 7/5) (जैन साहित्य इतिहास/270/नाथूरामजी प्रेमी)।