उपपाद गृह: Difference between revisions
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<p class="SanskritText">त्रिलोकसार गाथा 523 पासे उववादिगहं हरिस्स अडवास दीहरुदयजुदं। दुगरयणसयणमज्झं वरजिणगेहं च बहुकूडं।</p> | <p class="SanskritText">त्रिलोकसार गाथा 523 पासे उववादिगहं हरिस्स अडवास दीहरुदयजुदं। दुगरयणसयणमज्झं वरजिणगेहं च बहुकूडं।</p> | ||
<p class="HindiText">= तिह | <p class="HindiText">= तिह मानस्तंभके पासि आठ योजन चौड़ा इतना ही लंबा ऊँचा उपपादगृह है। बहुरि तीह उपपादग्रहविषै दोय रत्नमई शय्या पाईए है। इहां इंद्रका जन्मस्थान है। बहुरि इस उपपादगृहकै पासि बहुत शिखरनिकरि संयुक्त जिनमंदिर है।</p> | ||
Revision as of 16:20, 19 August 2020
त्रिलोकसार गाथा 523 पासे उववादिगहं हरिस्स अडवास दीहरुदयजुदं। दुगरयणसयणमज्झं वरजिणगेहं च बहुकूडं।
= तिह मानस्तंभके पासि आठ योजन चौड़ा इतना ही लंबा ऊँचा उपपादगृह है। बहुरि तीह उपपादग्रहविषै दोय रत्नमई शय्या पाईए है। इहां इंद्रका जन्मस्थान है। बहुरि इस उपपादगृहकै पासि बहुत शिखरनिकरि संयुक्त जिनमंदिर है।