जिनगुणसंपत्ति: Difference between revisions
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Revision as of 16:23, 19 August 2020
एक व्रत इसमें कल्याणकों के पांच, अतिशयों के चौंतीस प्रातिहार्यों के आठ और सोलह कारण भावनाओं के सोम्ह, कुल त्रेसठ उपवास किये जाते हैं तथा एक-एक उपवास के बाद एक-एक पारणा की जाती है । इनमें सोलह कारण भावनाओं के निमित्त सोलह प्रतिपदा, पंच कल्याणकों के निमित्त पाँच पंचमी, अष्ट प्रातिहार्यों के निमित्त आठ अष्टमी, और चौंतीस अतिशयों के लिए बीस दशमी तथा चौदह चतुर्दशी तिथियों में उपवास किये जाते हैं । यह तीर्थंकर-प्रकृति के बंध में सहायक होता है । महापुराण 6. 141-145, हरिवंशपुराण 34.122 अपरनाम जिनगुणख्याति । महापुराण 63.247