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| <p> लंका का राजा । यह राक्षसवंशी था । श्रीचन्द्रा आदि इसकी अनेक रानियां थी । श्रीचन्द्रा को एक वानर ने नोंच लिया था जिससे कुपित होकर इसने उस वानर को मार कर घायल कर दिया था । यह वानर घायल अवस्था में मुनि संघ के निकट पृथिवी पर भागते हुए गिर गया था । मुनियों के पंच-नमस्कार मंत्र का उपदेश देने से वानर मरकर महोदधिकुमार नामक भवनवासी देव हुआ । इस देव ने इसे कर्त्तव्य-बोध कराया । यह इस अपने गुरु के पास ले गया । वहाँ दोनों ने गुरु से धर्म का उपदेश सुना और अपना पूर्वभव ज्ञात किया । इससे इसे प्रबोध हुआ । अपने पुत्र सुकेश को अपना पद सौंप कर इसने दीक्षा ले ली तथा समाधिमरण के प्रभाव से उत्तम देव हुआ । इसकी दीक्षा के समाचार पाकर महोदधिकुमार ने भी विरक्त होकर दीक्षा ले ली । पद्मपुराण 6.223-350</p> | | #REDIRECT [[विद्युत्केश]] |
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| [[Category: पुराण-कोष]]
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| [[Category: व]]
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