महाविद्या: Difference between revisions
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Revision as of 16:32, 19 August 2020
विद्याधरों को प्राप्त इच्छानुसार फल देने वाली विद्याएं । ये दो प्रकार से प्राप्त होती हैं― 1. पितृपक्ष अथवा मातृपक्ष से, 2. तपस्या से । इसमें दूसरे प्रकार की विद्याएँ सिद्धायतन के समीपवर्ती द्वीप, पर्वत, नदी तट या किसी भी पवित्र स्थान में शुद्ध वेष और ब्रह्मचर्यपूर्वक तपश्चरण नित्यपूजा, जप, हवन तथा महोपवास करते हुए सिद्ध होती है । महापुराण 19.11-16