विधिदान: Difference between revisions
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Revision as of 16:35, 19 August 2020
गर्भान्वय की त्रेपन क्रियाओं में पैतीसवीं क्रिया । इसमें इंद्र नम्रीभूत उत्तम देवों को अपने-अपने पद पर नियुक्त करता है और स्वयं चिरकाल तक उनके सुखों का अनुभव करता है । महापुराण 38.60, 199-201