पूर्वगत: Difference between revisions
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<li class="HindiText">दृष्टि प्रवाद अंग का चौथा भेद - देखें [[ श्रुतज्ञान#III.1 | श्रुतज्ञान - III.1]]। </li> | <li class="HindiText">दृष्टि प्रवाद अंग का चौथा भेद - देखें [[ श्रुतज्ञान#III.1 | श्रुतज्ञान - III.1]]। </li> | ||
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Revision as of 13:01, 14 October 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- दृष्टि प्रवाद अंग का चौथा भेद - देखें श्रुतज्ञान - III.1।
- धवला 1/1,1,2/114/7 पुव्वाणं गयं पत्त-पुव्व-सरूवं वा पुव्वगय-गिदि। = जो पूर्वों को प्राप्त हो, अथवा जिसने पूवो के स्वरूप को प्राप्त कर लिया हो, उसे पूर्वगत कहते हैं।
पुराणकोष से
श्रुतज्ञान के बारहवें दृष्टिवाद अंग का पाँचवाँ भेद । हरिवंशपुराण 2. 95-100