हंस: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<ol> | <ol> | ||
<li> परमात्मप्रकाश टीका/2/170 <span class="SanskritText">अनंतज्ञानादिनिर्मलगुणयोगेन हंस इव हंस परमात्मा।</span> = <span class="HindiText">अनंतज्ञानादि निर्मल गुण सहित हंस के समान उज्ज्वल परमात्मा हंस हैं।</span></li> | <li><span class="GRef"> परमात्मप्रकाश टीका/2/170 </span><span class="SanskritText">अनंतज्ञानादिनिर्मलगुणयोगेन हंस इव हंस परमात्मा।</span> = <span class="HindiText">अनंतज्ञानादि निर्मल गुण सहित हंस के समान उज्ज्वल परमात्मा हंस हैं।</span></li> | ||
<li><span class="HindiText">परमहंस के अपर नाम-देखें [[ मोक्षमार्ग#2.5 | मोक्षमार्ग - 2.5]]।</span></li> | <li><span class="HindiText">परमहंस के अपर नाम-देखें [[ मोक्षमार्ग#2.5 | मोक्षमार्ग - 2.5]]।</span></li> | ||
</ol> | </ol> |
Revision as of 13:03, 14 October 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- परमात्मप्रकाश टीका/2/170 अनंतज्ञानादिनिर्मलगुणयोगेन हंस इव हंस परमात्मा। = अनंतज्ञानादि निर्मल गुण सहित हंस के समान उज्ज्वल परमात्मा हंस हैं।
- परमहंस के अपर नाम-देखें मोक्षमार्ग - 2.5।
पुराणकोष से
एक द्वीप । यह लंका द्वीप के समीप था । यहाँ समस्त ऋद्धियाँ और भोग उपलब्ध थे । वन-उपवन से यह विभूषित था । राम ने लंका में प्रवेश करने के पूर्व यहाँ ससैन्य विश्राम किया था । पद्मपुराण 48.115, 54-76