संजय: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) विद्याधर विनमि का पुत्र । इनकी दो बहिनें थी― भद्रा और सुभद्रा । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.103-106 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) विद्याधर विनमि का पुत्र । इनकी दो बहिनें थी― भद्रा और सुभद्रा । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 22.103-106 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक चारण मुनि । इनके साथ विहार करने वाले चारणमुनि का नाम विजय था । इन मुनियों का संदेह वर्द्धमान के दर्शन मात्र से दूर हो गया था । अत इस घटना से प्रभावित होकर इन्होंने वर्द्धमान को सन्मति नाम में संबोधित किया था । <span class="GRef"> महापुराण 74. 282-283 </span></p> | <p id="2">(2) एक चारण मुनि । इनके साथ विहार करने वाले चारणमुनि का नाम विजय था । इन मुनियों का संदेह वर्द्धमान के दर्शन मात्र से दूर हो गया था । अत इस घटना से प्रभावित होकर इन्होंने वर्द्धमान को सन्मति नाम में संबोधित किया था । <span class="GRef"> महापुराण 74. 282-283 </span></p> | ||
<p id="3">(3) राजा चरम का पुत्र यह नीति का जानकार था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.28 </span></p> | <p id="3">(3) राजा चरम का पुत्र यह नीति का जानकार था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 17.28 </span></p> | ||
<p id="4">(4) एक राजा, जो रोहिणी के स्वयंवर में गया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 31.29 </span></p> | <p id="4">(4) एक राजा, जो रोहिणी के स्वयंवर में गया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 31.29 </span></p> | ||
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Revision as of 16:59, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
एक परिव्राजक था। जिसने मौद्गलायन व सारिपुत्त को बुद्ध का शिष्य होने से रोका था।
पुराणकोष से
(1) विद्याधर विनमि का पुत्र । इनकी दो बहिनें थी― भद्रा और सुभद्रा । हरिवंशपुराण 22.103-106
(2) एक चारण मुनि । इनके साथ विहार करने वाले चारणमुनि का नाम विजय था । इन मुनियों का संदेह वर्द्धमान के दर्शन मात्र से दूर हो गया था । अत इस घटना से प्रभावित होकर इन्होंने वर्द्धमान को सन्मति नाम में संबोधित किया था । महापुराण 74. 282-283
(3) राजा चरम का पुत्र यह नीति का जानकार था । हरिवंशपुराण 17.28
(4) एक राजा, जो रोहिणी के स्वयंवर में गया था । हरिवंशपुराण 31.29