किष्किंध: Difference between revisions
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<span class="HindiText"> (1) दक्षिण भारत का एक पर्वत । भरतेश के सेनापति ने यहाँ के राजा को अपने अधीन किया था । <span class="GRef"> महापुराण 29. 90 </span></br><span class="HindiText">(2) एक नगर, सुग्रीव की निवासभूमि । यह विंध्याचल पर्वत के ऊपर स्थित है । <span class="GRef"> महापुराण 68.466-467, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11. 73-74 </span> | <span class="HindiText"> (1) दक्षिण भारत का एक पर्वत । भरतेश के सेनापति ने यहाँ के राजा को अपने अधीन किया था । <span class="GRef"> महापुराण 29. 90 </span></br><span class="HindiText">(2) एक नगर, सुग्रीव की निवासभूमि । यह विंध्याचल पर्वत के ऊपर स्थित है । <span class="GRef"> महापुराण 68.466-467, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 11. 73-74 </span> </br><span class="HindiText">(3) प्रतिचंद्र विद्याधर का ज्येष्ठ पुत्र और अंध्रकरूढ़ि का अग्रज । आदित्यपुर के राजा विद्यामंदर की पुत्री श्रीमाला ने स्वयंवर में इसे ही वरा था । पृथ्वीकर्णतटा अटवी के मध्य में स्थित धरणीमौलि पर्वत पर इसने अपने नाम पर एक किष्किंधपुरी की रचना की । इसके दो पुत्र और एक पुत्री थी । पुत्रों के नाम थे—सूर्यरज और यक्षरज तथा पुत्री का नाम था सूर्यकमला । अंत में यह निर्ग्रंथ हो गया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.352-358, 425-426, 508-524,570 </span> | ||
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Revision as of 20:34, 25 July 2022
सिद्धांतकोष से
- भरतक्षेत्रस्थ विंध्याचल का एक देश–देखें मनुष्य - 4;
- भरत क्षेत्र मध्य आर्यखंड मलयगिरी पर्वत के निकटस्थ एक पर्वत–देखें मनुष्य - 4;
- प्रतिचंद्र का पुत्र तथा सूर्यरज का पिता वानरवंशी राजा था–देखें इतिहास - 7.13।
पुराणकोष से
(1) दक्षिण भारत का एक पर्वत । भरतेश के सेनापति ने यहाँ के राजा को अपने अधीन किया था । महापुराण 29. 90
(2) एक नगर, सुग्रीव की निवासभूमि । यह विंध्याचल पर्वत के ऊपर स्थित है । महापुराण 68.466-467, हरिवंशपुराण 11. 73-74
(3) प्रतिचंद्र विद्याधर का ज्येष्ठ पुत्र और अंध्रकरूढ़ि का अग्रज । आदित्यपुर के राजा विद्यामंदर की पुत्री श्रीमाला ने स्वयंवर में इसे ही वरा था । पृथ्वीकर्णतटा अटवी के मध्य में स्थित धरणीमौलि पर्वत पर इसने अपने नाम पर एक किष्किंधपुरी की रचना की । इसके दो पुत्र और एक पुत्री थी । पुत्रों के नाम थे—सूर्यरज और यक्षरज तथा पुत्री का नाम था सूर्यकमला । अंत में यह निर्ग्रंथ हो गया था । पद्मपुराण 6.352-358, 425-426, 508-524,570