अर्हद्भक्ति: Difference between revisions
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== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<p><big>देखें [[ भक्ति#1 | भक्ति - 1]]।</big></p> | <p><big>देखें [[ भक्ति#1.3 | भक्ति - 1.3]]।</big></p> | ||
Revision as of 19:55, 24 August 2022
सिद्धांतकोष से
देखें भक्ति - 1.3।
पुराणकोष से
(1) सोलह कारण भावनाओं में दसवीं भावना-जिनेंद्र के प्रति मन, वचन और काय से भावशुद्धिपूर्वक श्रद्धा रखना । महापुराण 63.327, हरिवंशपुराण 34.141
(2) राक्षसवंशी राजा । उग्रश्री के पश्चात् लंका का स्वामित्व इसे ही प्राप्त हुआ था । यह माया, पराक्रम, विद्या, बल और कांति का धारी था । पद्मपुराण 5.396-400