ज्ञानपच्चीसी व्रत
From जैनकोष
चौदह पूर्वों की १४ चतुर्दशी और ग्यारह अंगों की ११ एकादशी इस प्रकार २५ उपवास करने। "ऊ̐ ह्रीं द्वादशाङ्ग श्रुतज्ञानाय नम:" इस मन्त्र का त्रिकाल जाप्य। (व्रत विधान संग्रह/पृ.१७३) (किशन सिंह क्रियाकोश)।
चौदह पूर्वों की १४ चतुर्दशी और ग्यारह अंगों की ११ एकादशी इस प्रकार २५ उपवास करने। "ऊ̐ ह्रीं द्वादशाङ्ग श्रुतज्ञानाय नम:" इस मन्त्र का त्रिकाल जाप्य। (व्रत विधान संग्रह/पृ.१७३) (किशन सिंह क्रियाकोश)।