अंगारिणी
From जैनकोष
सिद्धांतकोष से
एक विद्या - देखें विद्या ।
का भावार्थ–भगवान् ऋषभदेव से नमि और विनमि द्वारा राज्य की याचना करने पर धरणेंद्र ने अनेक देवों के संग आकर उन दोनों को अपनी देवियों से कुछ विद्याएँ दिलाकर संतुष्ट किया। उनमें से एक विद्या का नाम अंगारिणी, हैं। ( महापुराण/7/34-334 )।
पुराणकोष से
दिति और अदिति द्वारा नमि ओर बिनमि को प्रदत्त विद्याओं के सोलह निकायों की एक विद्या । हरिवंशपुराण - 22.61-62