षोडशकारण भावना व्रत
From जैनकोष
16 वर्ष तक, वा 5 वर्ष तक, अथवा जघन्य एक वर्ष तक प्रतिवर्ष भाद्रपद, माघ व चैत्र, इन तीनों महीनों में कृष्णा 1 से लेकर अगले महीने की कृष्णा 1 तक 32 दिन तक क्रमश: 32 उपवास, वा 16 उपवास, 16 पारणा, अथवा जघन्य विधि से 32 एकाशना करे।
जाप्य - 'ओं ह्रीं दर्शनविशुद्धयादिषोडशकारणेभ्यो नम:।' इस मंत्र का त्रिकाल जाप करे। (व्रत विधान संग्रह/पृष्ठ 38)।