श्रावकाध्ययनांग
From जैनकोष
द्वादशांग श्रुत का सातवाँ अग । इसका अपर नाम उपाकाध्ययनांग है । इसमें श्रावक के आचार का वर्णन है । इसकी पद-संख्या ग्यारह लाख सत्तर हजार है । हरिवंशपुराण 2.93, 10.37
द्वादशांग श्रुत का सातवाँ अग । इसका अपर नाम उपाकाध्ययनांग है । इसमें श्रावक के आचार का वर्णन है । इसकी पद-संख्या ग्यारह लाख सत्तर हजार है । हरिवंशपुराण 2.93, 10.37