शरभ
From जैनकोष
(1) एक जंगली जानवर-अष्टापद । इसकी पीठ पर भी चार पैर होते हैं । आकाश में उछलकर पीठ के बल नीचे गिरने पर भी पृष्ठवर्ती पैरों के कारण इसे कोई चोट नहीं लगती । यह सिंह को भी परास्त कर देता है । महापुराण 27.70, 31.25, पद्मपुराण 17.260
(2) लक्ष्मण का एक पुत्र । पद्मपुराण 94.28, 102.146