संवृतिसत्य
From जैनकोष
सत्य वचन के दस भेदों में एक भेद । समुदाय को एक देश की मुख्यतया से एक रूप कहना । जैसे भेरी, तबला, बांसुरी आदि अनेक वाद्यों का शब्द जहाँ एक समूह में हो रहा है वहाँ भेरी आदि की मुख्यतया से भेरी आदि का शब्द कहना संवृतिसत्य है । हरिवंशपुराण 10.102