स्थापनासत्य
From जैनकोष
सत्य के दस भेदों में एक भेद वास्तविकता न होने पर भी आकार की समानता अथवा व्यवहार के लिए की गयी स्थापना से वस्तु को उस रूप मानना/कहना स्थापना सत्य है । जैसे सतरंज की गोटों में आकार न होने पर भी उन्हें बादशाह वजीर आदि मानना, तथा खिलौनों में आकार की समानता देखकर उन्हें हाथी आदि कहना स्थापना सत्य हैं । हरिवंशपुराण 10. 100