स्थूलपुद्गल
From जैनकोष
पुद्गल का पाँचवा भेद । वे पुद्गल जो पृथक्-पृथक् किये जाने पर भी जल के समान परस्पर में मिल जाते हैं । महापुराण 24. 153, वीरवर्द्धमान चरित्र 16.122 देखें पुद्गल
पुद्गल का पाँचवा भेद । वे पुद्गल जो पृथक्-पृथक् किये जाने पर भी जल के समान परस्पर में मिल जाते हैं । महापुराण 24. 153, वीरवर्द्धमान चरित्र 16.122 देखें पुद्गल