महीपाल
From जैनकोष
- म.पु./७३/श्लोक–महीपाल नगर का राजा तथा भगवान् पार्श्वनाथ का नाना था।९६। महादेवी के वियोग में पंचाग्नि तप तपता था। कुमार पार्श्वनाथ से योग्य विनय न पाने पर क्रुद्ध हुआ। कुमार द्वारा बताये जाने पर उनकी सत्यता की परीक्षा करने के लिए जलती हुई लकड़ी को कुल्हाड़ी से चीरा तो वास्तव में ही वहाँ सर्प का जोड़ा देखकर चकित हुआ। यह कमठ का जीव था तथा भगवान् के जीव से वैर रखता था। शल्यसहित मरणकर शम्बर नामक ज्योतिष देव बना, जिसने तप करते हुए भगवान् पर घोर उपसर्ग किया।९७-११७। यह कमठ का आगे का आठवाँ भव है।
- प्रतिहार वंश का राजा था। बढ़वाण प्रान्त में राज्य करता था। धरणी वराह इसका अपर नाम था। समय–(श.सं.८३६; वि.सं.९७१ (ई. ९१४); (ह.पु./प्र.६/पं.पन्नालाल)।