मानतुंग
From जैनकोष
काशीवासी धनदेव ब्राह्मण के पुत्र थे। पहले श्वेताम्बर साधु थे, पीछे दिगम्बरी दीक्षा धारण कर ली। दोनों ही आम्नायों में सम्मानित हैं। राजा द्वारा ४८ तालों में बन्द किये जाने की कथा इनके विषय में प्रसिद्ध है। कृति–भक्तामर स्तोत्र। समय–राजा हर्ष (ई. ६०८) के समकालीन होने से तथा आ. सिद्धसेन (वि. ६२५) कृत कल्याण मन्दिर स्तोत्र से प्रभावित होने से लगभग वि. ६७५ (ई. ६१८)। (ती. /२/२६८, २७३)।