अनंत चतुष्टय
From जैनकोष
घातिया कर्मों के क्षय से उत्पन्न अनन्तदर्शन, अनन्तज्ञान, अनन्तसुख और अनन्तवीर्य नाम के चार गुण । ये अर्हन्त और सिद्ध परमेष्ठियों को प्राप्त होते हैं । महापुराण 21.114,121-123
घातिया कर्मों के क्षय से उत्पन्न अनन्तदर्शन, अनन्तज्ञान, अनन्तसुख और अनन्तवीर्य नाम के चार गुण । ये अर्हन्त और सिद्ध परमेष्ठियों को प्राप्त होते हैं । महापुराण 21.114,121-123