अनिल
From जैनकोष
एक राक्षसवंशी नृप । राजा गतप्रभ के पश्चात् यह लंका का स्वामी हुआ था । यह माया और पराक्रम से युक्त था; विद्या, बल और महाकान्ति का धारी था । संसार से भयभीत हो वंश-परम्परा से आगत राजलक्ष्मी अपने पुत्र को सौंपकर अन्त में दीक्षा धारण कर ली थी । पद्मपुराण 5.397-401