गंधोत्कट
From जैनकोष
हेमांगद देश में राजपुर नगर का निवासी एफ राजमान्य सेठ । अपने मृत पुत्र को श्मशान ले जाने पर वहाँ इसे एक जीवित बालक पड़ा हुआ मिला । वह उसे अपने घर ले आया । इसकी पत्नी नन्दा ने इसे प्रसन्नतापूर्वक ग्रहण कर इसका नाम जीवन्धर रखा । राजा सत्यन्धर की भामारति और अनंगपताका नाम की दो छोटी रानियों के दीक्षित होने पर उनके पुत्रों का भी इसी ने पालन किया था । जीवन्धर के आने के पश्चात् इसके एक पुत्र और हुआ । उसका नाम नन्दाद्य था । महापुराण 75.198,242-279