चिंताजननी
From जैनकोष
चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में काकिणी रत्न का नाम । यह अजीव रत्न भरतेश के श्रीगृह में प्रकट हुआ । इससे अन्धकार दूर किया जा सकता था । महापुराण 37. 83-85, 173
चक्रवर्ती के चौदह रत्नों में काकिणी रत्न का नाम । यह अजीव रत्न भरतेश के श्रीगृह में प्रकट हुआ । इससे अन्धकार दूर किया जा सकता था । महापुराण 37. 83-85, 173