असंदिग्ध
From जैनकोष
राजवार्तिक अध्याय 9/5/5/594/18 स्फुटार्थं व्यक्ताक्षरं चासंदिग्धम्।
= जामें अर्थ स्पष्ट होय और अक्षर व्यक्त होय सो असंदिग्ध कहिये।
( चारित्रसार पृष्ठ 67/1)
राजवार्तिक अध्याय 9/5/5/594/18 स्फुटार्थं व्यक्ताक्षरं चासंदिग्धम्।
= जामें अर्थ स्पष्ट होय और अक्षर व्यक्त होय सो असंदिग्ध कहिये।
( चारित्रसार पृष्ठ 67/1)