नर
From जैनकोष
( राजवार्तिक/2/50/1/156/11 ) धर्मार्थकाममोक्षलक्षणानि कार्याणि नृणन्ति नयन्तीति नरा:। =धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष इन चार पुरुषार्थ का नयन करने वाले ‘नर’ होते हैं।
( राजवार्तिक/2/50/1/156/11 ) धर्मार्थकाममोक्षलक्षणानि कार्याणि नृणन्ति नयन्तीति नरा:। =धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष इन चार पुरुषार्थ का नयन करने वाले ‘नर’ होते हैं।