अग्निमित्र
From जैनकोष
- (महापुराण सर्ग संख्या ७४/७६) एक ब्राह्मण पुत्र था। यह वर्धमान भगवान्का दूरवर्ती पूर्व का भव है - देखे वर्धमान ।
- मगध देश की राजवंशावली के अनुसार यह एक शक जाति का सरदार था जिसने मौर्य काल में ही मगध देश के किसी एक भाग पर अपना अधिकार जमा रखा था। इसका अपर नाम भानु भी था। यह वसुमित्र के समकालीन था। समय - वी.नि. २८५-३४५ ई. पू. २४२-१८२। - दे.- इतिहास ३।