लोकबिंदुसार
From जैनकोष
पूर्वगत श्रुत का एक भेद-चौदहवाँ पूर्व । इसमें बारह करोड़ पचास लाख पद है । इन पदों में श्रुतसंपदा के द्वारा अंकराशि, आठ प्रकार के व्यवहार की विधि तथा परिकर्म बताये गये हैं । महापुराण 2.100, हरिवंशपुराण 10.121-122 देखें पूर्व