ह्रीमन्य
From जैनकोष
(1) विद्याओं की साधना के लिए प्रसिद्ध तथा संजयंत मुनि की प्रतिमा से युक्त एक पर्वत । हिरण्यरोम तापस यहीं का निवासी था । यहाँ पांच नदियों का संगम है । वसुदेव ने यहाँ बालचंद्रा नामक कन्या को नागपाश से छुड़ाया था । धरणेंद्र के संकेतानुसार विद्याधरों ने संजयंत मुनि की पांच सौ धनुष ऊँची प्रतिमा स्थापित करके यहीं अपनी गयी हुई विद्याएँ पुन: प्राप्त की थीं । विद्याओं के हर जाने से इस पर्वत पर लज्जित होकर नीचा मस्तक किए हुए विद्याधरों के बैठने से यह पर्वत इस नाम से प्रसिद्ध हुआ । महापुराण 62.274, हरिवंशपुराण 21.24-25, 26, 45-48, 27.128-134