इष्टवियोगज
From जैनकोष
आर्त्तध्यान का प्रथम भेद । आर्त्तध्यानी इष्ट वस्तु का वियोग होने पर उसके सयोग के लिए बार-बार चिंतन करता है । पद्मपुराण 21.31-36
आर्त्तध्यान का प्रथम भेद । आर्त्तध्यानी इष्ट वस्तु का वियोग होने पर उसके सयोग के लिए बार-बार चिंतन करता है । पद्मपुराण 21.31-36