त्रिभुवनानंद
From जैनकोष
विदेह क्षेत्र के पुंडरीक नगर का चक्रवर्ती सम्राट् । इसके बाईस हजार पुत्र थे और एक पुत्री अनंगशरा थी । अनंगजरा ने अपने ऊपर आयी हुई विपत्ति के कारण सल्लेखना धारण कर ली थी । उस अवस्था में वन में एक अजगर उसे खा रहा था । यह समाचार सुनकर जब यह वन में उसके पास पहुँचा तो उसे वैराग्य हो गया और अपने पुत्रों के साथ यह दीक्षित हो गया । पद्मपुराण 64. 50-51, 85-90 देखें अनंगशरा