GP:पंचास्तिकाय संग्रह-सूत्र - गाथा 24 - अर्थ
From जैनकोष
समयः समय, निमिषः निमेष, काष्ठा काष्ठा, कला च कला, नाली घड़ी, ततः दिवारात्रः अहोरात्र, (दिवस), मासर्त्वयनसंवत्सरम् मास, ऋतु, अयन और वर्ष - इति कालः ऐसा जो काल (अर्थात् व्यवहारकाल) परायत्तः वह पराश्रित है ।