अकाम निर्जरा: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
No edit summary |
||
Line 14: | Line 14: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> निष्काम भाव से कष्ट सहते हुए कर्मी का क्षय करना । यह देवयोनि की प्राप्ति का एक कारण है । ऐसी निर्जरा करने वाले जीव चारों प्रकार के देवों में कोई भी देव होकर यथायोग्य ऋद्धियों के धारी होते हैं । <span class="GRef"> पद्मपुराण 14.47-45, 64.103 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> <big>निष्काम भाव से कष्ट सहते हुए कर्मी का क्षय करना । यह देवयोनि की प्राप्ति का एक कारण है । ऐसी निर्जरा करने वाले जीव चारों प्रकार के देवों में कोई भी देव होकर यथायोग्य ऋद्धियों के धारी होते हैं ।</big><big></big> <span class="GRef"> पद्मपुराण 14.47-45, 64.103 </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Line 25: | Line 25: | ||
[[Category: पुराण-कोष]] | [[Category: पुराण-कोष]] | ||
[[Category: अ]] | [[Category: अ]] | ||
[[Category: करणानुयोग]] |
Revision as of 19:43, 29 July 2022
सिद्धांतकोष से
- देखें निर्जरा ।
पुराणकोष से
निष्काम भाव से कष्ट सहते हुए कर्मी का क्षय करना । यह देवयोनि की प्राप्ति का एक कारण है । ऐसी निर्जरा करने वाले जीव चारों प्रकार के देवों में कोई भी देव होकर यथायोग्य ऋद्धियों के धारी होते हैं । पद्मपुराण 14.47-45, 64.103