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<p class="HindiSentence">= हेतु और उदाहरण के अधिक होने से अधिक नामक निग्रह-स्थान है। </p> | <p class="HindiSentence">= हेतु और उदाहरण के अधिक होने से अधिक नामक निग्रह-स्थान है। </p> | ||
(श्लो. वा.४/न्या.२२२/४००/१५)।<br> | (श्लो. वा.४/न्या.२२२/४००/१५)।<br> | ||
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== पुराणकोष से == | |||
<p> सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.171 </p> | |||
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Revision as of 13:41, 5 May 2020
== सिद्धांतकोष से ==
न्या.सू./५/२/१३/३१५ हेतूदाहरणाधिकमधिकम्।
= हेतु और उदाहरण के अधिक होने से अधिक नामक निग्रह-स्थान है।
(श्लो. वा.४/न्या.२२२/४००/१५)।
पुराणकोष से
सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.171