अभिषेक: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 14: | Line 14: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<div class="HindiText"> <p> तीर्थंकरों का स्नपन । जो सुगंधित जल से जिनेंद्रों का अभिषेक करता है वह जहाँ जन्मता है वहाँ अभिषेक को प्राप्त होता है । दूध से अभिषेक करने वाला क्षीरधवल विमान में कांतिधारी होता है, दधि से अभिषेक कर्ता दधि के समान वर्ण वाले स्वर्ग में उत्पन्न होता है और घी से अभिषेक करने वाला कांति से युक्त विमान का स्वामी होता है । अपरनाम अभिषव <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_32#165|पद्मपुराण - 32.165-168]] </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण | <div class="HindiText"> <p class="HindiText"> तीर्थंकरों का स्नपन । जो सुगंधित जल से जिनेंद्रों का अभिषेक करता है वह जहाँ जन्मता है वहाँ अभिषेक को प्राप्त होता है । दूध से अभिषेक करने वाला क्षीरधवल विमान में कांतिधारी होता है, दधि से अभिषेक कर्ता दधि के समान वर्ण वाले स्वर्ग में उत्पन्न होता है और घी से अभिषेक करने वाला कांति से युक्त विमान का स्वामी होता है । अपरनाम अभिषव <span class="GRef"> [[ग्रन्थ:पद्मपुराण_-_पर्व_32#165|पद्मपुराण - 32.165-168]] </span><span class="GRef"> [[ग्रन्थ:हरिवंश पुराण_-_सर्ग_2#50|हरिवंशपुराण - 2.50]] </span></p> | ||
</div> | </div> | ||
Latest revision as of 14:39, 27 November 2023
सिद्धांतकोष से
वसति विषयक एक दोष-देखें वसतिका ।
पुराणकोष से
तीर्थंकरों का स्नपन । जो सुगंधित जल से जिनेंद्रों का अभिषेक करता है वह जहाँ जन्मता है वहाँ अभिषेक को प्राप्त होता है । दूध से अभिषेक करने वाला क्षीरधवल विमान में कांतिधारी होता है, दधि से अभिषेक कर्ता दधि के समान वर्ण वाले स्वर्ग में उत्पन्न होता है और घी से अभिषेक करने वाला कांति से युक्त विमान का स्वामी होता है । अपरनाम अभिषव पद्मपुराण - 32.165-168 हरिवंशपुराण - 2.50