अरुण
From जैनकोष
१. सौधर्म स्वर्गका छठा पटल व इन्द्रक - दे. स्वर्ग/५/३; २. लौकान्तिक देवोंका एक भेद- दे. लौकांतिक; ३. दक्षिण अरुणवर द्वीपका रक्षक देव- दे. भवन/४; ४. दक्षिण अरुणवर समुद्रका रक्षक देव - दे. भवन/४।
अरुणप्रभ-
१. उत्तर अरुणवर द्वीपका रक्षक देव- दे. भवन/४; २. उत्तर अरुणवर समुद्रका रक्षक देव- दे. भवन/४
अरुणमणि -
आप एक कवि थे। आपने `अजित पुराण' ग्रन्थ रचा। समय-वि. १७१६ (ई.१६५९) में उपरोक्त ग्रन्थ पूर्ण किया था।
(महापुराण / प्रस्तावना २०/पं.पन्नालाल) (तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, पृष्ठ संख्या ४/८९)।
अरुणवर-
मध्यलोककानवम द्वीप व सागर - दे. लोक/५।
अरुणा-
पूर्व आर्य खण्डस्थ एक नदी - दे. मनुष्य/४।
अरुणी-
विजयार्धकी उत्तर श्रेणीका एकनगर - दे. विद्याधर।
अरुणीवर-
मध्यलोकका नवम द्वीप व सागर - दे. लोक/५/१।
अरूपत्व-
दे. मूर्त।
अरूपी-
दे. मूर्त।
अर्ककीर्ति-
(महापुराण / सर्ग/श्लो.नं.) -भरत चक्रवर्ती का पुत्र था ४७/१८६-१८७। सुलोचना कन्याके अर्थ सेनापति जयसेन-द्वारा युद्धमें परास्त किया गया /४४/७१,७२,३४४-४५। गृहपति अकम्पन-द्वारा समझाया जानेपर `अक्षमाला' कन्याको प्राप्तकर सन्तुष्ट हुआ /४५/१०-३०। इसीसे सूर्यवंशकी उत्पत्ति हुई।
(पद्मपुराण सर्ग ५/४); (पद्मपुराण सर्ग ५/२६०-२६१) (हरिवंश पुराण सर्ग ३/१-७)।