आज्ञा: Difference between revisions
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<p class="SanskritText">स्याद्वादमंजरी श्लोक 21/263/7 आ सामस्त्येनानन्तधर्मविशिष्टतया ज्ञायतेन्ऽवबुद्ध्यन्ते जीवाजीवाध्यः पदार्थाः यया सा आज्ञा आगमः शासनम्।</p> | |||
<p>= समस्त अनन्त धर्मोंसे विशिष्ट जीव अजीवादिक पदार्थ जिसके द्वारा जाने जाते हैं वह आप्तकी आज्ञा आगम या जिनशासन कहलाती है।</p> | <p class="HindiText">= समस्त अनन्त धर्मोंसे विशिष्ट जीव अजीवादिक पदार्थ जिसके द्वारा जाने जाते हैं वह आप्तकी आज्ञा आगम या जिनशासन कहलाती है।</p> | ||
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Revision as of 13:47, 10 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
स्याद्वादमंजरी श्लोक 21/263/7 आ सामस्त्येनानन्तधर्मविशिष्टतया ज्ञायतेन्ऽवबुद्ध्यन्ते जीवाजीवाध्यः पदार्थाः यया सा आज्ञा आगमः शासनम्।
= समस्त अनन्त धर्मोंसे विशिष्ट जीव अजीवादिक पदार्थ जिसके द्वारा जाने जाते हैं वह आप्तकी आज्ञा आगम या जिनशासन कहलाती है।
पुराणकोष से
पारिव्राज्य क्रिया के सत्ताईस सूत्रपदों में एक सूत्रपद इससे पारिव्राज्य का साक्षात् लक्षण प्रकट होता है । इसे परमेष्ठी का गुण कहा गया है । आज्ञा देने का अभिमान छोड़कर मौन धारण करने वाले मुनि इस परमाज्ञा को प्राप्त करते हैं । इसे सुर और असुर भी शिरोधार्य करते हैं । महापुराण 39.162-165, 189 देखें पारिव्राज्यक्रिया