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<p class="HindiSentence">= जिसके द्वारा उपकार किया जाता है उसे उपकरण कहते हैं।</p> | |||
<p class="SanskritPrakritSentence">संयमोपकरण - ([[प्रवचनसार]] / [[ प्रवचनसार तात्पर्यवृत्ति | तात्पर्यवृत्ति ]] टीका / गाथा संख्या २२३/१) निश्चयव्यवहारमोक्षमार्गसहकारिकारणत्वेनाप्रतिषिद्धमुपकरणरूपोपधिं अप्रार्थनीयं-भावसंयमरहितस्यासंयतजनस्यानभिलषणीयम्।</p> | |||
<p class="HindiSentence">= निश्चय व्यवहार मोक्षमार्गके सहकारीकारण रूपसे अप्रतिषिद्ध जो उपकरण रूप उपाधि वह भाव संयमसे रहित असंयत जनोंके द्वारा प्रार्थना या अभिलाषा की जाने योग्य नहीं होनी चाहिए।</p> | |||
<UL start=0 class="BulletedList"> <LI> उपकरण इन्द्रिय-<b>देखे </b>[[इन्द्रिय]] १ </LI> | |||
<LI> जिन प्रतिमाके १०८ उपकरण द्रव्य-<b>देखे </b>[[चैत्य]] १/११ </LI> </UL> | |||
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Revision as of 06:33, 26 May 2009
धवला पुस्तक संख्या ६/१,१,३३/२३६/३ उपक्रियतेऽनेनेत्युपकरणम्
= जिसके द्वारा उपकार किया जाता है उसे उपकरण कहते हैं।
संयमोपकरण - (प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति टीका / गाथा संख्या २२३/१) निश्चयव्यवहारमोक्षमार्गसहकारिकारणत्वेनाप्रतिषिद्धमुपकरणरूपोपधिं अप्रार्थनीयं-भावसंयमरहितस्यासंयतजनस्यानभिलषणीयम्।
= निश्चय व्यवहार मोक्षमार्गके सहकारीकारण रूपसे अप्रतिषिद्ध जो उपकरण रूप उपाधि वह भाव संयमसे रहित असंयत जनोंके द्वारा प्रार्थना या अभिलाषा की जाने योग्य नहीं होनी चाहिए।